Monday, August 9, 2010

आँखें सागर सी

सागर जैसी आँखें तेरी ,मदहोशी देख कर छाती है ,

चेहरे से तेरे प्यार झलकता ,फिर भी क्यों ख़ामोशी है ,

लगता तेरी आँखें बंद है ,तभी नहीं उजाला है ,

सूरज भी तब ही आता है ,जब आँख तेरी खुल जाती है ,

आँखें नहीं यह स्वर्ग है मेरा ,जिसमे मैं खो जाता हूँ ,

इन्हें देखकर मेरे दिल में ,हलचल सी मच जाती है ,

इन्हें देख बिन दिन नहीं कटता ,और कही भी मन नहीं लगता ,

बीती याद जब आती मुझको ,याद तुम्हारी आती है

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