सागर जैसी आँखें तेरी ,मदहोशी देख कर छाती है ,
चेहरे से तेरे प्यार झलकता ,फिर भी क्यों ख़ामोशी है ,
लगता तेरी आँखें बंद है ,तभी नहीं उजाला है ,
सूरज भी तब ही आता है ,जब आँख तेरी खुल जाती है ,
आँखें नहीं यह स्वर्ग है मेरा ,जिसमे मैं खो जाता हूँ ,
इन्हें देखकर मेरे दिल में ,हलचल सी मच जाती है ,
इन्हें देख बिन दिन नहीं कटता ,और कही भी मन नहीं लगता ,
बीती याद जब आती मुझको ,याद तुम्हारी आती है
चेहरे से तेरे प्यार झलकता ,फिर भी क्यों ख़ामोशी है ,
लगता तेरी आँखें बंद है ,तभी नहीं उजाला है ,
सूरज भी तब ही आता है ,जब आँख तेरी खुल जाती है ,
आँखें नहीं यह स्वर्ग है मेरा ,जिसमे मैं खो जाता हूँ ,
इन्हें देखकर मेरे दिल में ,हलचल सी मच जाती है ,
इन्हें देख बिन दिन नहीं कटता ,और कही भी मन नहीं लगता ,
बीती याद जब आती मुझको ,याद तुम्हारी आती है
No comments:
Post a Comment